दोस्तों आज इस आर्टिकल में प्रत्यावर्ती संकर्षण प्रणाली की विभिन्न समस्याएं के बारे में बहुत ही अच्छे तरीके से इन सब के बारे में जानकारी देने वाला हूं| तो चलिए शुरू करते हैं |
प्रत्यावर्ती संकर्षण प्रणाली में प्रमुख समस्याओं एवं इनके निवारणों को निम्न बिन्दुओं के द्वारा समझाया जा सकता है-
- विद्युत सप्लाई लाइनों में असंतुलन (Unbalance in electric supply lines)
- दूर संचार लाइनों में बाधाएं (Interference in telecommunication line)
इन हानियों को दूर करने के लिए कुछ सावधानियों को ध्यान में रखा जाता है। एकल कला संकर्षण भार द्वारा धारा एवं वोल्टता दोनों में असंतुलन उत्पन्न होता है। धारा के असंतुलन से विद्युत शक्ति प्रदान करने वाले प्रत्यावर्तक की कुंडली (Winding) गर्म हो जाती है।
असंतुलित धारा के इन प्रभावों को निम्नलिखित प्रकार से दूर किया जाता है
- विद्युत संकर्षण भार को क्रमशः त्रिकला सप्लाई के RY, YB, BR क्रम में पृथक् पृथक् उपकेन्द्रों से जोड़कर तीनों फेजों को संतुलित किया जाता है।
- सप्लाई प्रणाली को अति उच्च वोल्टता उपकेन्द्रों से प्राप्त किया जाता है।
- सप्लाई प्रणाली की क्षमता बढ़ाकर भी असंतुलन धारा से प्रत्यावर्तक को हानि होने से बचाया जा सकता है।
- जहां पर असंतुलन धारा का मान सीमा से अधिक होता है वहां उपकेन्द्र पर स्कॉट संयोजित (Scott connection) ट्रांसफॉर्मर प्रयोग करके धारा के मान को कम किया जा सकता है।
दूर संचार लाइनों में बाधाएं स्थिर वैद्युत (Electrostatic) तथा विद्युत चुम्बकीय प्रेरण (Electromagnetic induction) द्वारा होती हैं। इम हानियों को निम्नलिखित प्रकार से दूर किया जाता है-
इसके लिए आइसोलेशन ट्रांसफॉर्मर का प्रयोग करके प्रेरित वोल्टता को 60V तक कम किया जाता है।
आज आपने क्या सीखा :-
अब आप जान गए होंगे कि प्रत्यावर्ती संकर्षण प्रणाली की विभिन्न समस्याएं इन सभी सवालों का जवाब आपको अच्छी तरह से मिल गया होगा|
उम्मीद करता हूं कि मेरे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी अगर आपके मन में कोई भी सवाल/सुझाव है तो मुझे कमेंट करके नीचे बता सकते हो मैं आपके कमेंट का जरूर जवाब दूंगा| अगर आपको यह पोस्ट पसंद आई है तो अपने दोस्तों रिश्तेदारों के साथ में शेयर भी कर सकते हो