सॉफ्टवेयर डवलपमेंट के विभिन्न चरणों को विस्तार से समझाइए।

दोस्तों आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि सॉफ्टवेयर डवलपमेंट के विभिन्न चरण के बारे में बहुत ही अच्छे तरीके से इन सब के बारे में जानकारी देने वाला हूं| तो चलिए शुरू करते हैं |

सॉफ्टवेयर डवलपमेंट के विभिन्न चरण

सॉफ्टवेयर डवलपमेंट में निम्न चरणों को शामिल किया जाता है-

  1. आवश्यकता का एकत्रीकरण एवं विश्लेषण (Gathering and Analysis of Requirement) – किसी भी प्रोग्राम का सॉफ्टवेयर तैयार करने से पूर्व इसके लिए व्यावसायिक डाटा को एकत्र करना आवश्यक होता है। इसमें सभी आवश्यक बिन्दुओं एवं इससे संबंधित विभिन्न प्रश्नों को ध्यान में रखा जाता है जैसे- सॉफ्टवेयर का उपयोग करने वाला कौन है? सॉफ्टवेयर में किस प्रकार का डाटा जोड़ा जाना चाहिए? इस सॉफ्टवेयर में आउटपुट डाटा क्या होना चाहिए? उपरोक्त सभी प्रश्नों के उत्तर के बाद सॉफ्टवेयर डवलपर्स के द्वारा आगे की प्रक्रिया प्रारम्भ करनी चाहिए।
  2. अभिकल्पन (Design) – यह सॉफ्टवेयर डवलपमेंट का अगला चरण है। इस चरण में इन्स्ट्रक्शंस से सॉफ्टवेयर के लिए डिजाइन को तैयार किया जाता है। सिस्टम डिजाइन हार्डवेयर के साथ-साथ सिस्टम आवश्यकताओं को पूर्ण करने में सहायक होती है। यह सॉफ्टवेयर आर्किटेक्चर की समग्र प्रणाली में सहायक है।
  3. कोडिंग/इम्प्लीमेंटेशन (Coding/Implementation) – सॉफ्टवेयर की डिजाइन तैयार करने के बाद कार्य को विभिन्न यूनिटों और मॉड्यूल में समानता से विभाजित किया जाता है। यह वह स्टेज है, जहां पर वास्तविक कोडिंग शुरू होती है। स्टेप का मुख्य फोकस डवलपर्स द्वारा सही कोड का विकास करना होता है। यह सॉफ्टवेयर के विकास का सबसे लम्बा चरण होता है।
  4. टेस्टिंग (Testing) – सॉफ्टवेयर डवलपमेंट प्रक्रिया में यह चरण सबसे जटिल चरण होता है। यदि टेस्टिंग प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की त्रुटि होती है या कोडिंग में त्रुटि होती है तब कोडिंग प्रक्रिया को पुनः प्रारम्भ किया जाता है। टेस्टिंग प्रक्रिया में की जाने वाली प्रमुख टेस्टिंग निम्नलिखित है-

(i) इंटीग्रेशन टेस्टिंग (Integration Testing)

(ii) यूनिट टेस्टिंग (Unit Testing)

(iii) सिस्टम टेस्टिंग (System Testing)

(iv) एक्सेप्टेंस टेस्टिंग (Acceptance Testing)

(v) नॉन-फंक्शनल टेस्टिंग

5. डिप्लॉयमेंट चरण (Deployment Stage) – टेस्टिंग चरण में प्राप्त होने चाली सभी त्रुटियों को दूर करने के बाद डिप्लॉयमेंट चरण प्रारम्भ किया जाता है। इसमें अन्तिम कोड को सॉफ्टवेयर में इम्प्लीमेंट किया जाता है, फिर उपयोग किए जाने के लिए उपभोक्ता को डिप्लॉय या डिलिवर किया जाता है। इस चरण में यह सुनिश्चित किया जाता है कि इसका उपयोग बड़े पैमाने घर किया जा सकता है या नहीं। यदि इसमें परिवर्तन की कोई संभावना होती है तब उसे परिवर्तित किया जाता है।

  1. अनुरक्षण (Maintenance) – यदि उपरोक्त चरणों की सहायता से सॉफ्टवेयर का विकास करने के कुछ समय बाद त्रुटि आने की स्थिति आती है तो इस स्थिति में पूर्व में ही अनुरक्षण प्लान तैयार किया जाता है।

आज आपने क्या सीखा :-

अब आप जान गए होंगे कि सॉफ्टवेयर डवलपमेंट के विभिन्न चरण इन सभी सवालों का जवाब आपको अच्छी तरह से मिल गया होगा|

उम्मीद करता हूं कि मेरे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी अगर आपके मन में कोई भी सवाल/सुझाव है तो मुझे कमेंट करके नीचे बता सकते हो मैं आपके कमेंट का जरूर जवाब दूंगा| अगर आपको यह पोस्ट पसंद आई है तो अपने दोस्तों रिश्तेदारों के साथ में शेयर भी कर सकते हो

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