दोस्तों आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे सौर कुकर के बारे में बहुत ही अच्छे तरीके से इन सब के बारे में जानकारी देने वाला हूं| तो चलिए शुरू करते हैं |
सौर कुकर (Solar Cookers)
यह भी एक प्रकार की तापीय विधि है, जिसका उपयोग खाना पकाने में किया जाता है। इसके नियमित प्रयोग से करीब 2-2.5 kg जलावन लकड़ी प्रतिदिन बचाई जा सकती है। बड़ी संख्या में लोगों के खाना पकाने के लिए सामुदायिक सौर कुकरों का विकास हुआ, जो सफलता से काम कर रहे हैं। इसके द्वारा पकाया भोजन कई घंटों तक गर्म रहता है।
इसके तल में धातु की काली प्लेट होती है, जिसे absorber plate कहते हैं। बर्तन (खाना बनाने के लिए) साधारणतया एल्युमिनियम के बने होते हैं, ये बाहर से काले रंग से पुते होते हैं इन बर्तनों को ट्रे में रखकर दो पारदर्शक कांच से ढक देते हैं, जिससे संवहन ऊर्जा का loss ना हो। इसका main cover खुला रहता है, जिसमें परावर्तक (reflector) कांच लगा होता है, ये एक या ज्यादा भी हो सकते हैं। ये बॉक्स विभिन्न आकार व कुचालक पदार्थ के बने होते हैं।
कुकर को धूप में रखने के बाद परावर्तक के दर्पण के कोण को इस प्रकार नियोजित (adjust) कर देते हैं कि सौर विकिरण टकराकर, परावर्तित होकर tray के अंदर पड़े। इससे अंदर सौर विकिरण का घनत्व बढ़ जाने से तापक्रम में वृद्धि होती है। यह करीब 140°C तक हो सकता है, जो सभी प्रकार के भोजन को पकाने में पर्याप्त है।
विशेषताएं (Characteristics)
(i) खाना बनाते समय ज्यादा ध्यान नहीं देना पड़ता
(ii) Fuel की जरूरत नहीं
(iii) Maintenance बहुत कम
(iv) प्रदुषण व धुआं रहित
(v) पौष्टिक भोजन तैयार

आज आपने क्या सीखा :-
अब आप जान गए होंगे कि सौर कुकर इन सभी सवालों का जवाब आपको अच्छी तरह से मिल गया होगा|
उम्मीद करता हूं कि मेरे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी अगर आपके मन में कोई भी सवाल/सुझाव है तो मुझे कमेंट करके नीचे बता सकते हो मैं आपके कमेंट का जरूर जवाब दूंगा| अगर आपको यह पोस्ट पसंद आई है तो अपने दोस्तों रिश्तेदारों के साथ में शेयर भी कर सकते हो